ऋषिकेश से देवप्रयाग तक पुरातन यात्रा मार्ग “गंगा पथ” होगा नया गंतव्य आकर्ष

अब ऋषिकेश से देवप्रयाग तक तीर्थयात्री,पर्यटक,चित्रकार,छायाकार,प्रक्रतिप्रेमी,योग ध्यान,पक्षी प्रेमी जैसी विधाओं के लिए भ्रमण करने वाले पर्यटक यदि बदरीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग से हटकर गंगा के सानिध्य में परंपरागत यात्रा मार्ग पर स्तिथ मंदिरों,प्राकृतिक स्थलों,झरनों,चट्टियों तथा गांवों का भ्रमण का आनंद ले सकेंगे। बस थोड़ा थोड़ा पैदल यात्रा करनी होगी। जिला प्रशासन पौड़ी ने एक अभिनव प्रयास करते हुए इस मार्ग का सौंदर्यीकरण तथा संयोजन का कार्य प्रारंभ कर दिया है। इस मार्ग का सर्वे करते हुए गंगा पथ पर एक चित्रमय पुस्तक का प्रकाशन भी कर लिया गया है।इस पुस्तक का लोकार्पण कल प्रदेश के मुख्यमंत्री द्वारा पौड़ी में एक समारोह में किया गया।
पौड़ी के जिलाधिकारी डॉक्टर आशीष चौहान की इस पहल पर पर्यटन विभाग सक्रिय है।

“गंगा वीथिका “पर्यटकों के लिए आरक्षण का केंद्र:
इसी पुरातन मार्ग में महादेव चट्टी के समीप कोटली भेल में चट्टानी संकरे मार्ग को जिलाधिकारी द्वारा आकर्षक लकड़ी की सुरक्षा रेलिंग,काष्ठ सौंदर्य संयोजन से सुसज्जित और संरक्षित कर दिया गया है। जिसे देखने और इस मार्ग पर हाइकिंग करने सैलानी पर्यटक पहुंचने लगे हैं।।

क्या है कोटली भेल: इस पुरातन मार्ग में महादेव चट्टी के समीप संकरा और जटिल चट्टानी मार्ग था। भेल का मतलब स्थानीय बोली में चट्टानी जटिल और फिसलने वाले स्थल से हॉट है। यह स्थल राष्ट्रीय राजमार्ग में कौडियाला से लगभग दो किलोमीटर की दूरी पर श्रीनगर की तरफ सड़क से उतरकर एक झूला पुल से गंगा पार कर
पुरातन यात्रा मार्ग से जुड़ा है।

क्या है “गंगा वीथिका”?
इसी स्थल का आकर्षक संयोजन तथा सुदृढ़ीकरण करते हुए गंगा वीथिका के रूप में प्रस्तुत किया गया है।
“वीथिका “का आशय संकरे,सघन झुरमुटों , संकरे चट्टानी मार्ग जो कि सुंदर दृश्यावली लिए हो से भी है ।
यह मार्ग गंगा के सुंदर प्रवाह के दृश्यों के साथ चट्टानी मार्ग में सुसज्जित “गंगा वीथिका” है।