एक ताल जहां चांद उतर आता है
उत्तराखंड हिमालय के रुद्रप्रयाग जिले के सारी गांव से लगभग 2.3 कि.मी.की दूरी पर लगभग आठ हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित है देवरिया ताल। अप्रतिम सौंदर्य के मध्य यह ताल अपनी मनमोहक छटा के लिए पर्यटकों में खासा लोकप्रिय है।ताल के जल में चौखंबा शिखर का प्रतिबिंब अलौकिक है।
लेकिन यह ताल चांदनी रातों में दिव्य ताल के रूप में परिवर्तित होता है,इसके जल में चांद का प्रतिबिंब और तैरती चांदनी परिवेश को दिव्यता प्रदान करती है।
जनश्रुति के अनुसार जब पांडव स्वर्गारोहण के लिए इस भूमि पर आए तो इस ताल से अपनी प्यास बुझाने से पूर्व उन्हें यक्छ प्रश्नों के उत्तर देने पड़े ।
वानासुर की पुत्री ऊषा और उसकी सहेली चित्रलेखा इसी ताल में चांदनी रातों की दिव्यता में स्नान करती ,उषा और श्री कृष्ण के पौत्र अनिरुद्ध का विवाह स्थल समीप ही उखीमठ में माना जाता है,ऊषा के नाम से ही उखीमठ का नाम पड़ा,शरद पूर्णिमा की चांदनी रातों में हिमालय में देवताओं के पूजन का विशेष महत्व पुराणों में उल्लेखित है।शरद पूर्णिमा और कार्तिक पूर्णिमा में उत्तराखंड हिमालय दिव्यता के दर्शन प्रदान करता है।
मध्महेश्वर में भगवान शंकर और पार्वती को चांदनी रात अत्यधिक प्रिय है ऐसा जनविश्वास है।
हिमालय के शिखर और ताल चांदनी रातों में दिव्यता प्राप्त करते हैं,चांदनी रातों में ही अनेक दुर्लभ जड़ी बूटियों के चमकने का विश्वास भी लोकमानस को प्रकृति में सौंदर्य के इस महत्व से ही मिलता रहा|