धरती का स्वर्ग उत्तराखंड

यही हिमालय में शिव का निवास है
यहां के अप्रतिम सौंदर्य झील ,ताल ,बुग्याल फूलों की घाटियों , झरनों और प्रकृति के गीतों में नंदा के सुर ताल रचते बसते हैं.
इस धरती पर देवताओं ने वास किया,ऋषिमुनियों ने प्रवास किया।


गंगा – जब स्वर्ग से उतरी तो इसी धरती का सर्वप्रथम स्पर्श किया.
ये वो धरती है जहां वेद पुराण रचे गए. यहां धाम हैं,यहां कंकर कंकर शंकर है,
पंच बद्री , पंच केदार, पंच प्रयाग की इस धरा पर हिमालय के शिखरों पर आस्था के ध्वज सजता है तो पर्वतों की घाटियों में आस्था की गहराई है।
ये धरती है शक्ति का पुंज जो देवताओं ,ऋषि मुनि,तपस्वियों से लेकर सामान्य मानव तक को सदैव ऊर्जावान बना देती है।
यहां की मिट्टी देवताओं ,मनीषियों,कर्मवीर , साधकों,चिंतकों,दार्शनिकों की पदचिह्नों से मार्ग प्रशस्त करती है
धरती का स्वर्ग उत्तराखंड तन
और मन को स्फूर्ति और स्पंदन प्रदान करता है
इस धरा की लोक संस्कृति,लोकगाथाएं धरोहर हैं
ये प्रकृति की रंगशाला है ये परियो का देश है
ये धरती है शांति और समर्पण की ,तभी तो पांडव सबकुछ प्राप्त करने के बाद मन की शांति और समर्पण के लिए अंत में उत्तराखंड हिमालय की यात्रा कर समर्पण करते हैं
ये धरती है ज्ञान की इसी लिए भगवान कृष्ण गीता में इसी धरती से निकलने वाली गंगा और हिमालय का उल्लेख करते हुए कहते हैं”मै सरिताओं में जाह्नवी (गंगा)हूं और पर्वतों मै सुमेरु ।
यही धरती मानव कल्याण के लिए प्राण वायु और जल को सजोए है
ये धरती है आस्था,आध्यात्म,सौंदर्य,ज्ञान विज्ञान,वेद ,आयुर्वेद की है और जो धरती मानव के तन और मन को आदिकाल से स्पंदन प्रदान करती है तो ऐसी धरती मे प्राप्त होने वाला आभास धरती के स्वर्ग के रूप में उत्तराखंड में ही है


Tags:
No tags found