सैर का सलीका सिखा रहे “डॉ सर्वेश उनियाल”
हेमवती नंदन बहुगुणा केन्द्रीय विश्वविद्यालय श्रीनग के प्राध्यापक डॉ सर्वेश उनियाल ने इको-फ्रेंडली पर्यटन की दिशा में एक अभूतपूर्व अभिनव प्रयोग की आधारशिला रख कर एक क्रान्तिकारी कदम बढ़ाया है। “सैर सलीका” नाम से स्वच्छ एवं जिम्मेदार आदर्श पर्यटन की रुपरेखा तैयार कर हेमवती नंदन बहुगुणा केन्द्रीय विश्वविद्यालय श्रीनगर का नाम रौशन किया है।
हिमालय के हिमनदों, खूबसूरत बुग्यालों से लेकर राजस्थान की मरुभूमि के टीलों की उड़ती रेत तक फैले पर्यटक स्थलों तक अपने केन्द्र के छात्र-छात्राओं एवं शोधार्थियों को कला, संस्कृति, स्थापत्यकला, इतिहास से रुबरु ही नहीं कराया बल्कि सम्बंधित पर्यटक स्थलों की साफ-सफाई करके पर्यटकों को जागरूक किया और उन्हें सैर सलीका का पाठ भी पढ़ाया।
आज लाखों लोग सैर सलीका के मुरीद बन चुकेहैं।
डॉ सर्वेश उनियाल को कई राज्य एवं राष्ट्रीय पुरस्कार भी मिल चुके हैं। सैर-सलीका अभियान पर आधारित लधुफिल्म को सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय, भारत सरकार एवं राष्ट्रीय फिल्म विकास परिषद द्वारा सराहा गया है। उन्हें सार्टिफिकेट आफ एक्सीलेंस अवार्ड से नवाजा गया है। प्रसिद्ध इंग्लिश साहित्यकार राक्सिन बांड , ऐवरेस्ट बिजेता श्रीमती बच्छेन्द्री पाल,पूर्व शिक्षामंत्री भारत सरकार डॉ रमेश पोखरियाल निशंक जी ने सैर सलीका अभियान की खूब तारीफ की है।
डॉ उनियाल ने पर्यटन पर कई सूचना पत्रक,लेख,और पुस्तकें लिखी हैं। पर्यटकों के लिए गाइड करने वाली मोबाइल आकार की सैर सलीका की गाइडबुक “मोबाइल फार मूवमेंट” लोगों द्वारा बहुत पसंद की गई है।
ग्वालदम की खूबसूरत वादियों में अपने बचपन की किलकारियों से आगे बढ़ कर डॉ सर्वेश उनियाल वर्तमान में हेमवती नंदन बहुगुणा केन्द्रीय विश्वविद्यालय के पर्वतीय पर्यटन एवं आतिथ्य अध्ययन केन्द्र श्रीनगर में कार्यक्रम अधिकारी पद पर कार्य करते हुए प्रकृतिऔर पर्यटन संरक्षण की दिशा में नये नये सार्थक अभिनव प्रयोग करके राज्य एवं देश का नाम रोशन कर रहे हैं। आज के युवाओं के लिए डॉ सर्वेश उनियाल,उर्जा एवं प्रेरणा के स्रोत हैं। वर्तमान में कई हजार युवाओं को गाइड प्रशिक्षण देकर उन्हें पर्यटन व्यवसाय की ओर प्रेरित किया है।