आखिर उत्तराखण्ड को ही क्यों चुना स्वामी विवेकानंद ने।
सोचने वाली बात है कि भारत को विश्वगुरु बनाने की ओर अग्रसर स्वामी विवेकानंद ने इसकी शुरूआत उत्तराखंड से ही क्यों की। आखिर इसके लिए उन्होंने केन्द्र के रूप में इसे ही क्यों चुना?
उत्तराखंड हिमालय के मायावती लोहाघाट में विवेकानंद ने अद्वैत आश्रम की स्थापना की जहां से वे पूरे विश्व में भारतीय आध्यात्म तथा दर्शन की गंगा प्रवाहित करना चाहते थे।
मायावती के परिवेश में है शक्ति पुंज का परिवेश_ मायावती का स्थानीय बोली में अर्थ है माया बाटी अर्थात प्यार स्नेह और ममता का मार्ग।इस स्थल पर है देवी मां का मंदिर और सम्पूर्ण परिवेश मां के आंचल की तरह
शीतलता,स्पर्श और शांति प्रदान करने वाला है। अप्रतिम प्राकृतिक सौंदर्य के मध्य इस स्थल की अनुभूति दिव्यता सी प्रदान करती है ।
यही कारण है कि स्वामी विवेकानंद ने इस विशिष्ट स्थल को ही भारतीय ज्ञान विज्ञान तथा दर्शन की गंगा के उद्गम की गंगोत्री के रूप में चुना।