प्रकृति की वीथिका में फाल्गुन के रंग

उत्तराखंड में फाल्गुन माह की अनुभूति सबसे खास है। गुदगुदाता मौसम और गुनगुनाता मन.

हर भोर पेड़ों पर नई नई बौर। फूल पत्तियों की रंगत तो भौरें तितलियों की संगत।चिड़ियों की चहक तो फूलों की महक।
ये महीना शिव की अराधना( शिव रात्रि)से होली की रंगों तक की सैर है।
मान्यता है कि यही खास महीना चंद्रमा का जन्म महीना भी है।

ऐसे में फाल्गुन उत्सव प्रकृति के बीच मनाने का अवसर मिले तो..
देहरादून के समीप मालदेवता और मालदेवता के पास कोकियाल गांव में साधना होम स्टे और देहरादून फोटोग्राफी क्लब ने आयोजित किया फाल्गुन उत्सव। पेड़ों की झुरमुट में प्रकृति के छ्याकन की वीथिका,स्थानीय उत्पादों की प्रदर्शनी, स्थानीय स्वाद और फाल्गुन के गीत संगीत के बीच फूलों की होली। एकदम नैसर्गिक, विभिन्न समूहों का संयोजन और संगीत की मधुर संगत।
अलग सा किया तो अलग सा दिखा. 


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