यहॉ आज भी मिलती हैं अशर्फियां।
नैनीताल/सैर सलीका: देवों की भूमि कहा जाने वाला उत्तराखंड, यह वो जगह है जिसका संबंध पाषाण काल से लेकर पौराणिक काल तक से जोड़ा जाता रहा है। इस की धरती पर आदिमानवों की बस्ती होने के सबूत भी मिले हैं, बड़े—बड़े राजाओं और सम्राटों ने यहां अश्वमेध यज्ञ भी कराए।
ऐसा ही एक किस्सा नैनिताल के हल्द्वानी का भी बताया जाता है। कहा जाता है कि यहां एक गांव है, जहां कई लोगों को हल चलाते हुए राजाओं के समय की अशर्फियां मिली हैं। इस स्थान को कमौला-धमौला कहा जाता है। जहां आज के समय में भी प्राचीन काल के अवशेष मिल जाते हैं। इसी तरह गौलापार में कालीचौड़ का मंदिर जिसका अपना पुरातात्विक महत्व है। यहां पास में बिजेपुर गांव है, जिसे राजा विजयचंद की गढ़ी कहा जाता था। कहते हैं कि इस जगह को एक अंग्रेज अफसर ने अपना ठिकाना बनाया था, अंग्रेज अफसर से प्रेरित होकर लोग यहां बसने लगे। कहते हैं यहां काले रंग का पत्थर मिलता था, जिस वजह से इसे कालाढूंगी कहा जाने लगा।