उत्तराखण्डी आभूषणों की है अलग पहचान।
देश के अन्य राज्यों की ही तरह देवभूमि उत्तराखंड की संस्कृति भी अपनी एक विशिष्ट पहचान बनाए हुए है। यहां के विविध पर्व, त्यौहार, मेले, नृत्य-गीत के साथ ही वस्त्राभूषणों की यहॉ के लोक जीवन में विशेष स्थान है। यहॉ के अनेकों पर्व, उत्सव,धार्मिक क्रियाकलापों व नृत्य गीतों में पारम्परिक परिधानों को आभूषणों के साथ पहनना शुभ मना जाता है। उत्तराखंडियों के सोने के आभूषणों की खूबसूरती देखते ही बनती है। यह राज्य की गौरवशाली सांस्कृतिक विरासत को दर्शाता है।
उत्तराखंड के साहित्य में विशिष्ट स्थान : इस पहाड़ी राज्य उत्तराखण्ड के भी लोक साहित्य, लोकगाथा, लोक कथाओं व लोक गीतों में स्थानीय वस्त्रों व आभूषणों का बखूबी से वर्णन मिलता है। उत्तराखण्ड पहाड़ी राज्य होने के अलावा यहां की प्राकृतिक संरचना, संस्कृति, खानपान, पहनावा व आभूषण भी अपने आप में विशिष्ट है। जिनकी पहचान देश के अन्य क्षेत्रों से अलग है. अपनी विशिष्ट शैली के चलते ही उत्तराखण्ड आज देश में ही नही, विदेशों में भी प्रसिद्ध हो रहा है।
गलोबंध यह उत्तराखण्ड का प्रमुख आभूषण: यहां के आभूषणों में गलोबंध का नाम प्रमुखता से आता है। यह गले में चोकर की तरह बांधा जाने वाला सोने से बना होता है और इसे पूरे उत्तराखण्ड की महिलाएं पहनती हैं। खासकर इसे उत्तराखण्ड के कुमाऊं, गढ़वाल, भोटिया और जौनसार की विवाहित महिलाएं प्रमुख रूप से पहनती हैं। गलोबंध को एक लाल मखमली बेल्ट पर डिज़ाइन किया जाता है, जिस पर धागे की मदद से चौकोर सोने के ब्लॉक लगाए गए जाते हैं।
उत्तराखण्ड की नथ की बढ रही मांग: गलोबंध के अलावा उत्तराखण्ड की नथ की मांग भी देश और दुनिया में बढ़ने लगी है। नथ चंद्रमा के आकार की एक बड़ी नाक की अंगूठी है, जिसे महिलाएं पहनती हैं। यह दुल्हन के सबसे महत्वपूर्ण आभूषणों में से एक है और आकर्षण का केंद्र भी है। इसे उत्तराखण्डी बोली में नथुली कहा जाता है। पहाड़ में आमतौर पर नथुली दुल्हन को उसके मामा के द्वारा उपहार में दी जाती है। शादियों के अलावा, आभूषण का यह प्रसिद्ध टुकड़ा सामाजिक समारोहों, पूजाओं, महत्वपूर्ण पारिवारिक कार्यों और ऐसे अन्य कार्यक्रमों में भी पहना जाता है।
महिलाओं के श्रृगार को पूरा करती है पौंजी: पौंजी भी विवाहित महिलाओं के लिए आभूषण का एक शुभ टुकड़ा माना जाता है। पौंजी विशेष अवसरों पर महिलाओं द्वारा पहनी जाने वाली सोने की चूड़ियां हैं। यह पूरे उत्तराखण्ड में काफी लोकप्रिय हैं और विवाहित महिलाओं के लिए शुभ आभूषण का दूसरा रूप हैं। पौंजी (चूड़ियों) को लाल कपड़े पर जड़े हुए छोटे सोने के मोतियों का उपयोग करके बनाया जाता है।
उत्तराखण्ड में हंसुली (हार) नामक आभूषण भी काफी लोकप्रिय: ऐसे ही उत्तराखण्ड में हंसुली (हार) नामक आभूषण भी काफी लोकप्रिय है। यह खासकर गढ़वाल में खगवाली के नाम से लोकप्रिय है और न्यूनतम डिजाइन वाला चोकर हार है। यह गढ़वाली, कुमाऊंनी, जौनसारी और भोटिया महिलाओं द्वारा शादियों, त्योहारों, पारिवारिक कार्यों, सामाजिक समारोहों, मेलों और अन्य प्रमुख कार्यक्रमों जैसे विशेष अवसरों पर पहना जाने वाला एक क्लासिक डिजाइन है।