और जीवन बदल गया…..

उत्तराखंड के कुमाऊं अंचल में बागेश्वर के समीप कांडा,सुनार गांव का एक युवक जैंती नाम के एक स्थान में एक कार्यक्रम में जाता है। उम्र लगभग 22 वर्ष। एक सज्जन सामान्य वार्तालाप के क्रम में युवक से पूछते हैं कि यदि वे कुछ विदेशी मेहमानों को उनके गांव भेजें जो कृषि,पशुपालन,कारपेंटर, और मिस्त्री जैसी गतिविधियों में स्थानीय तकनीक को स्वयं कार्य कर सीख सकें तो सहायता कर सकोगे ? युवक ने हामी भर दी। वर्ष 1988 में इसी युवक ने अपने घर को अल्मोड़ा जिले के पर्यटन कार्यालय में “होम स्टे” योजना के अंतर्गत पंजीकृत कराया और स्वयं को स्वरोजगार से जोड़ा। लगभग 36 साल पहले” होम स्टे” रोज़ होम स्टे।


एक ऐसा होम स्टे जो साधारण है किंतु प्रतिफल में असाधारण। अब इस गांव में देशी विदेशी पर्यटक आते हैं घूमने,सीखने,बागवानी,खेती, बढ़ई,सिलाई,बुनाई, मिस्त्री आदि आदि में पारंगत होने। ये गांव देश विदेश के तकनीकी संस्थानों के प्रयोगात्मक शिक्षा की प्रयोगशाला है। ग्रामीण जीवन को जीने,गांव की सैर,गांव की तकनीक सीखने के लिए इस होम स्टे में अच्छी खासी संख्या में आते हैं आगंतुक। जीवन लंबे समय अंतराल का सफर पार कर चुका। ये युवक हैं जीवन लाल वर्मा।

 

जीवन को बदलने में पर्यटन विषय के ख्याति प्राप्त प्रोफेसर दिवंगत तेजपाल सिंह और प्रोफेसर एस .सी. बागड़ी का विशेष योगदान है। ये दोनों प्रोफेसर गढ़वाल विश्विद्यालय के पर्यटन विभाग के प्रारंभिक मुख्य स्तंभ हैं। इसके।अलावा कुछ विदेशी आगंतुकों ने भी प्रेरक की भूमिका जीवन को प्रदान की।

जीवन लाल वर्मा ने अत्यधिक सादगी के साथ अपने पूरे परिवार के साथ होम स्टे का संचालन किया।परिवहन,घूमने का प्लान,गाइडिंग,खान पान आवास सभी सुविधाओं में जीवन लाल वर्मा का परिवार भूमिका अदा करता है।

जीवन लाल वर्मा स्टार्टअप की एक पुरानी कहानी के जीवंत उदाहरण है।


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