अपने सौंदर्य को सहेजे हुए है धारचूला
भारत-नेपाल सीमा से सटा हुआ धारचूला नगर विभिन्न धर्मों, मिश्रित संस्कृति और गोर्खाली भाषा को अपने आप में समेटे हुए है। यहाँ की खूबसूरत झील और रमणीक दृश्यावली पर्यटकों का मन मोह लेने की क्षमता रखती है। उत्तराखंड में कई ऐसे सीमांत गांव, क्षेत्र, नगर एवं कस्बे हैं जो प्राकृतिक सौंदर्य के साथ-साथ सांस्कृतिक दृष्टिकोण से भी अन्य स्थानों से भिन्न हैं। ऐसा ही एक खूबसूरत शहर है धारचूला। गढ़वाली बोली में ‘धार’ का अर्थ होता है ‘चोटी’ और ‘चूला’ का अर्थ ‘चूल्हा’ या ‘स्टोव’ होता है। यह सम्पूर्ण पहाड़ी क्षेत्र स्टोव की आकृति दिखाई देता है। संभवतः इसलिए इस नगर का नाम धारचूला पड़ा होगा। पिथौरागढ़ से लगभग 83 किमी की दूरी पर स्थित, चारों ओर से ऊँची पहाड़ियों से घिरा धारचूला काली नदी के किनारे बसा है। धारचूला भारत-नेपाल सीमा से सटा क्षेत्र है, जिस कारण यहाँ की बोली में नेपाली बोली की भी मिश्रित ध्वनि सुनाई देती है। यहाँ के लोग प्रायः नेपाल और नेपाल के लोग यहाँ आते-जाते रहते हैं। नेपाल के लिए वीजा की आवश्यकता नहीं होती है। इस शहर के पश्चिम में हिमाच्छादित चोटी है जिसे पश्चिमचुली चोटी कहते हैं। यह चोटी इस क्षेत्र को जौहार घाटी से अलग करती है। पर्यटन की अपार संभावनाएँ लिए धारचूला अपने सौंदर्य को सहेजे हुए है।