इस कुण्ड में देवता करते हैं स्नान।

हिमशिखरों की गोद में सतोपंथ झील के नीले जल से दृष्टि,सीढ़ीनुमा ग्लेशियर पर चढ़ती हुई सतोपंथ के हिमशिखर से नीले आकाश में ओझल होने लगती है, तो जीवन यात्रा का सत्यपथ प्राप्त हो जाता है। बदरीनाथ धाम के ठीक पीछे नीलकंठ पर्वत के दर्शन् होते हैं। बदरीनारायण से 22 किमी0 की कठिन यात्रा के बाद नीलकंठ एवं चौखम्भा शिखरों के तल पर लगभग 14,400 फीट के ऊॅचाई पर सतोपंथ झील है। इस झील के बारे में स्कंदपुराण के केदारखण्ड में बड़ा ही सुंदर वर्णन मिलता है। सतोपंथ नामक यह तीर्थ मनो का हर देने वाला है, मान्यता है कि यहॉ का यह स्वच्छ जल का त्रिकोणीय पवित्र कुण्ड मनुष्य को सारे पापों से मुक्त कर देता है। एकादशी के पवित्र पर्व पर देवता इसी कुण्ड में स्नान करते हैं। प्रचलित लोक मान्यताओं के अनुसार पाण्डवों ने महाभारत युद्ध में विजीयी होने के बाद इसी मार्ग से स्वर्गारोहण किया था। जिसे सत्यपथ कहा गया। बाद में इसका नाम बदलकर सतोपंथ कर दिया गया।


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