यहां सौंदर्य, प्रकृति में चित्रकला सीखने निकलती है…………

पहाड़ों की सैर करते करते सैलानी का मन पंछी की तरह चंचल हो जाता है।
दूर दूर तक पसरी सुंदर घाटियां उसे नजदीक और नजदीक बुलाती हैं।
बस,इसी आकर्षण में सैलानी लोहाघाट जैसे चितचोर स्थान तक पहुंच जाता है…

सैर with  सर्वेश – “लोहाघाट”

 

लोहाघाट
पिथौरागढ़ से लगभग 61 km की दूरी पर है लोहाघाट। देवदार वृक्षों की शृंखला, हरा भरा भूभाग।
आसपास हैं मायावती आश्रम: लगभग 12 km कल्पनाओं को साकार करती खास जगह। स्वामी विवेकानंद ने लगभग दो सप्ताह तक इस अप्रतिम स्थल पर किया प्रवास।
एवट माउंट: लगभग 10 km की दूरी पर हिमालय दर्शन, घास के मैदान, अंग्रेजों को ये जगह इतनी भाई की यहां अनेक खूबसूरत बंगले बनाए उन्होंने। घुमक्कड़ी की सैरगाह। कुछ कहानियां अंग्रेज बाबू लोगों की।
घटोत्कच मंदिर: इस रमणीक जगह से जुड़ीं हैं महाभारत की रोमांचक कथाएं। लोककथा है कि महाभारत युद्ध में भीम का पुत्र घटोत्कच कर्ण के हाथ मारा गया। देवभूमि में भीम ने अपने पुत्र की याद में यहां मंदिर बनवाया। लोहाघाट से दूरी लगभग 15km।

यहां सौंदर्य, प्रकृति में चित्रकला सीखने निकलती है तो ,आप उस सौंदर्य का पीछा करें यहां..


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