यादगार रही 250 दिन की यात्रा।
कैंपटी फॉल ,मसूरी की वो पहाड़ी जो कंचन जंघा से काराकोरम तक की रोमांचक हिमयात्रा के अनुभवों को बताती है…
वर्ष 1981 में भारतीय पर्वतारोहण फेडरेशन के तत्वधान में विश्व की ऐसी दुर्लभ और दुर्गम हिमयात्रा का आयोजन किया गया जो जिसका आज भी कीर्तिमान स्थापित है। 5 हजार किलोमीटर की दूरी,67 हिमालयीय दुर्गम ग्लेशियर और 250 दिन की यात्रा।
इस रोमांचक यात्रा का नेतृत्व किया भारत के प्रसिद्ध पर्वतारोही एस.पी. चमोली ने। दल में सम्मिलित थे न्यूजीलैंड के ग्राम डिंगल,पीटर हिलेरी, डाग विलशन,कुरीना रोज ,एनुलूएस और भारत के छवांगतासी तथा एस.के.राय।
हिमालय को इतने करीब से जानने,समझने और जीने की जानकारी जानने के लिए मसूरी तक आना तो बहुत ही सहज है।
पूर्व डीआईजी, (आई.टी.बी.पी .) श्री एस. पी. चमोली ने इस अभियान के सफल नेतृत्व के बाद सोचा कि एक स्कूल होना चाहिए जो प्रकृति की खुली पाठशाला हो। ऐसा स्कूल जो प्रकृति के रहस्यों को बताए,पर्यावरण संरक्षण में भूमिका प्रदान करे,समूह निर्माण ,साहस,रोमांच,आपदा प्रबंधन की शिक्षा प्रदान करे।
श्री चमोली ने अपना सब कुछ इस उद्देश्य की पूर्ति में लगा दिया और ,नब्बे के दशक से मसूरी के कैंपटी फॉल में स्थापित किया “हिमालय एडवेंचर इंस्टीट्यूट” ये शानदार संस्थान आज स्कूल ,कॉलेज,विश्वविद्यालयों के छात्र छात्राओं के साथ ही अर्धसैनिक बलों,पुलिस कर्मियों सहित कॉरपोरेट जगत के लिए आदर्श ऑउट डोर संस्थान की उपयोगिता से पूर्ण है। संस्थान का परिसर आकर्षक पर्वतीय दृश्यों को लिए है। झरने,जलधाराएं,गांव,पहाड़ियां। संस्थान सभी एडवेंचर गतिविधियों से पूर्ण है। आवासीय परिसर में गढ़वाली घर आकर्षित करते हैं। दिनभर के लिए रोमांचपूर्ण गतिविधियां जैसे योग,ट्रेकिंग,हाइकिंग, रॉक क्लाइंबिंग, अनेक खेल गतिविधियां, माउंटेन मैनर्स आदि आदि।
श्री एस. पी. चमोली जी का व्याख्यान और कंचन जंघा से काराकोरम तक की सचित्र दुर्लभ हिमालय यात्रा का दृश्यावलोकन इस स्कूल की दीक्षा है।