त्रिवेणीघाट पर तपोबल से आई है मां यमुना।
त्रिवेणीघाट स्थित रघुनाथ मंदिर के मुख्यद्वार पर प्राचीन ऋषिकुंड है। धार्मिक मान्यता है कि ऋषि जमदाग्नि ने कई वर्षों पहले यहां पर मां यमुना की तपस्या की थी। ऋषि के तपस्या से प्रसन्न होकर मां यमुना प्रकट हुई थी। तब उन्होंने ऋषि से वरदान मांगने को कहा। जमदाग्नि ऋषि ने मां यमुना को कुंड में निवास करने की प्रार्थना की थी। माना जाता है कि तब से कुंड में मां यमुना विराजमान हो गई। इस कुंड को लोग यमुना कुंड के नाम से भी जानते हैं। इस कुंड से एक धारा प्रवाहित होकर गंगा में मिल रही है। सफाई न होने केेे चलते कुंड पानी दूषित हो रहा है। कुछ समय पहले कुंड से निकलने वाली धारा पर सौंदर्यीकरण के लिए गौमुख की आकृति लगाई गई थी। लेकिन कुछ समय पूर्व आकृति उखड़ गई। वहीं दूसरी ओर ऋषिकुंड के समीप ही गौरीशंकर मंदिर है। धार्मिक मान्यता है कि यहां पर गौरीशंकर की मूर्ति की स्थापना आदि शंकराचार्य ने की थी। गौर करने वाली बात है कि रेलवे स्टेशन और बस अड्डें पर इन ऐतिहासिक धरोहरों के प्रचार के लिए सूचना या जानकारी के बोर्ड नहीं लगाए गए है। यहां तक की त्रिवेणी घाट तक पर कहीं कोई बोर्ड नहीं लगा है। ऐसे में त्रिवेणी घाट पर आने वाले श्रद्धालु और पर्यटक जानकारी के आभाव में प्राचीन मंदिर और ऋषिकुंड के दर्शन से वंचित रह जाते हैं।