घर से घूमो…. गीतांजलि गुनगुनाती है यहां, टैगोर टॉप (रामगढ़)।

नैनीताल से लगभग 25 कि.मी. की दूरी और लगभग सात हजार फीट की ऊंचाई पर है यह स्थल।

सैर with सर्वेश।

मोहक व सम्मोहन से युक्त रामगढ़ मुक्तेश्वर का भूभाग,,,फलों के कटोरे नाम से भी लोकप्रिय है,,,नजारे ऐसे कि नजर न हट सके।
वर्ष 1903 में गुरु रवींद्र नाथ टैगोर अपनी पुत्री के स्वास्थ्य लाभ के उद्देश्य से कुमाऊं आए,,,उनके एक प्रशंसक डेनियल जो स्विट्ज़रलैंड के थे,,उन्होंने उनका आगमन स्वागत किया,,और उन्हें रामगढ़ लाए,,रामगढ़ में इस ऊंचाई स्तिथ कॉटेज में गुरुदेव ने प्रवास किया,,,वे यहां रच बस गए,,,कॉर्बेट टॉप गीतांजलि रचने के सृजन से जुड़ गया,,,रवीन्द्रनाथ टैगोर एशिया के पहले ऐसे साहित्यकार बने जिन्हें नोबेल पुरस्कार मिला।
नियोजन और नजरिए के आभाव में टाइगर टॉप भले ही नजरअंदाज हो,,महत्व तो निरंतर गतिमान रहेगा,,,जहां गीतांजलि गुनगुनाती है,,


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