छात्रों ने जाना क्या होता है पठाल का सलीका।

बड़ासी गांव स्थित पठाल पहुंचे श्रीदेवसुमन विश्विविद्यालय उत्तराखण्ड ऋषिकेश कैंपस के 37 छात्र—छात्राओं ने उत्तराखण्ड की परम्परागत कोटी बनाल शैली व इसमें जीवन यापन करने के सलीके को जाना। पठाल के भीतर प्रवेश कर गोबर से लीपी गई दीवारों को देख उन्होंने इसके पीछे छिपे वैज्ञानिक कारणों को समझा। पठाल के इर्द—गिर्द सैल्फी लेते छात्रों ने तिबार पर की गई बारीक नक्काशी को सराहा। पठाल से लगे जंगल की खूबसूरती को निहारा और पठाल की महमाननवाजी का लुत्फ भी उठाया। छात्रों को प्रबंधन के गुर सिखाते देवभूमि उद्यमिता योजना उत्तराखण्ड के प्रोजेक्ट मैनेजर सिद्धार्थ रावत ने पठाल को धरोहर के रूप में स्थापित करने वाले फौजी, मेजर गोर्की चंदोला की मिट्टी से जुड़े रहने और ग्राम्य प्रेम के विषय में जानकारी दी।


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