इस गांव में है जल संरक्षण का सलीका

उत्तराखण्ड के गांव की जब हम बात करते हैं तो सबसे पहले जो बात दिमाग में आती है वह है गांव की ताजी हवा और पानी। दूर धारों से गांव की माताएं व बहनें शीतल जल लिए घर पहुंचती हैं। यहॉ का पानी किसी अमृत से कम नहीं माना जाता। आज के समय में जहॉ शहरों में तरह—तरह के फिल्टर वाटर प्यूरिफायर का उपयोग करने के बाद भी पानी में अशुद्धियां बनी रहती हैं, वहीं गांव में पानी प्रकृति के बीच खुले आसमान के नीचे निरंतर बहता चला जाता है। अपनी यात्रा के दौरान जब हम कर्णप्रयाग रानीखेत मार्ग में चांदपुर गढ़ के समीप तोप गांव पहुंचे तो यहॉ मौजूद इस प्रचानी जलाधारा को नजरअंदाज नहीं कर सके। इसे देखकर गांव की याद आ गई। इसे मंदिर के रूप में सुसज्जित और संरक्षित किया गया है। इस पर लगे पत्थरों पर भव्य नक्काशी की गई है। यह है उत्तराखण्ड के समृद्ध जल संरक्षण की परंपरा।


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