यह स्थान प्रयाग के समान पुण्य तीर्थ है

बागेश्वर: जैसे कैनवास पर चित्रकार की तूलिका चलती है, ठीक उसी प्रकार कुमाऊं की हरी-भरी घाटियों में एक छोटी जलधारा गोमती नदी प्रवाहित होती है। गोमती नदी के दोनों तटों पर हरे-भरे खेत-खलिहानों में ग्रामीण परिवेश के जीवंत रंग बिखर जाते हैं। बैजनाथ से बागेश्वर तक का सफर और गोमती का साथ बागेश्वर में सरयू एवं गोमती के संगम पर बसे सांस्कृतिक स्थल के दर्शन कराता है। कुमाऊं की दो पावन नदियों सरयू तथा गोमती के संगम पर बागेश्वर स्थित है। इस स्थल को संगम तीर्थ तथा प्रयाग के समान ही पुण्य तीर्थ माना जाता है। यही कारण है कि कुमाऊं के लोकमानस में उक्ति परंपरा से जीवित रही है, “देवता देखण जागेश्वर, गंगा नाणी बागेश्वर,” अर्थात देवताओं के दर्शन करने के लिए जागेश्वर धाम जाना चाहिए और पुण्य स्नान के लिए बागेश्वर संगम तीर्थ जाना चाहिए। सरयू तथा गोमती के संगम पर स्थित बागेश्वर में स्वयंभू देवता के रूप में प्रतिष्ठित भगवान शिव का भव्य मंदिर स्थित है। बागेश्वर को मार्कंडेय मुनि की तपोभूमि भी कहा जाता है। जैसे भगीरथ ने अपने तप से हिम श्रृंखलाओं में गंगा नदी का अवतरण करवाया, वैसे ही मार्कंडेय ऋषि ने सरयू नदी को अवतरित करवाया।

Tags:
No tags found